यह एक ऐसी पार्टी है जिसका गठन १६ साल के जनआन्दोलन के बाद किया गया । पार्टी के संस्थापक चन्द्र भूषण पान्डेय 'न्यायाधीश' रहते हुए सन् १९८७ में ‘ चालीस साल’ पुस्तक लिख कर भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक जनआन्दोलन खड़ा कर दिया । सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होनें सभी संस्थाओं को भ्रष्ट बताया था इसलिए उनके ख़िलाफ़ तमाम मुकदमें व कार्यवाही हुई लेकिन वह विचलित नहीं हुए । जन आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए राज्यपाल के विधि सलाहकार के पद पर रहते हुए उन्होनें सन् १९९२ में बम्बई के क्रान्ति मैदान,जहाँ से गान्धी जी ने क्वीट इन्डिया का एलान किया था ‘फ़िट इन्डिया ‘का आह्वान किया । और भारत परिषद नाम से ग़ैर राजनीतिक संगठन बना कर देश भर में विधायका, कार्यपालिका,न्यायपालिका व पत्रकारिता में सुधार के लिए जनजागण किया । जन आन्दोलन को तेज़ गति देने के लिए राज्यपाल के सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा दे दिया जब कि सेवा १४ साल बाकी थी । धरना, प्रदर्शन, पदयात्राए कर कर के भ्रष्टाचार की चूलें हिला दिया । लेकिन भ्रष्टाचार के जड़ में अपराधी, पूँजीपति व ख़ानदानी राजनीति है इसलिए एेसी राजनीति को ख़त्म करने का सकंल्प लिया । गांधी जी ने कहा था सिध्दान्तविहीन राजनीति पाप है। चन्द्र मनमानी भूषण पान्डेय का कहना है कि बिना चरित्र के नेता और बिना नीति की राजनीति जनता के साथ धोखा है और यही सारे भ्रष्टाचार की जड़ है । नीति के साथ राजनीति करने के लिए २००८ में नैतिक पार्टी का गठन हुआ । विधान सभा उ० Nप्र०२०१२ के लिए चुनाव में पहली बार नैतिक पार्टी के प्रत्याशी झाड़ू चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े । झाड़ू को नैतिक पार्टी ने प्रचारित किया कि यह सफ़ाई, सम्पन्नता व एकता का प्रतीक है जिसकी इस देश को ज़रूरत है साथ ही यह भी कहा कि चूँकि झाड़ू हर घर में रहता है इसलिए भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ हर घर से उठना चाहिए ।