समाज में न्याय की पुर्नस्थापना समाज में न्याय का महत्व राम सेवक व रामधारी दोनों साथ-साथ पढ़े। दोनों ने बी0ए0 पास किया। रामधारी ने व्यवसाय किया और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर गई। वह सम्पन्न हो गये। रामसेवक नौकरी की तलाश करते रहे। नहीं मिली तो वह गाँव में रहकर मामूली खेती पर गुजर-बसर कर रहे हैं। उनका जीवन स्तर निम्न है इसलिए उनको निम्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैः-
1. उनके प्रति कोई सम्मानजनक व्यवहार नहीं करता। 2. उनके साथ पक्षपात होता है। 3. उनके विचार का कोई महत्व नहीं है। 4. उनकी अपनी कोई पहचान नहीं है। 5. उनको हर कोई आसानी से अपमानित कर देता है। 6. उनको कोई कर्ज नहीं देता। 7. उनको हर काम कराने के लिए घूस देनी पड़ती है। 8. उनके साथ हमेशा धोखा किया जाता है। 9. उनके बच्चों पर कोई ध्यान नहीं देता। 10. उनकी पत्नी को भी अपमानित होना पड़ता है। 11. उनकी जवान बेटियों को बुरी नजरों का सामना करना पड़ता है। 12. कोर्ट, कचहरी, दफ्तर में भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ता है। 13. उनको कानूनी अधिकारों का कोई फायदा नहीं मिलता। न्याय क्यों नहीं मिल रहा है? राम सेवक के पास धन का अभाव है। बड़ी मुश्किल से अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं जबकि जरूरत है हर कदम पर धन की। बच्चा माँ के पेट में आता है तो उसके स्वास्थ्य एवं विकास के लिए माँ को स्वस्थ रखना जरूरी है लेकिन वह अपनी पत्नी के खान-पान, दवा आदि की व्यवस्था नहीं कर सकते। बच्चा पैदा करने के लिए अस्पताल का खर्च और बच्चे के पालन-पोषण के लिए दूध व पौष्टिक आहार की व्यवस्था नहीं कर सकते। बच्चे के बड़े होने पर अच्छे स्कूल में उसकी शिक्षा, उसके बाद रोजगार, व्यवसाय और उसकी शादी-विवाह आदि के लिए पैसा चाहिए वह उनका इन्तजाम नहीं कर सकते। यहाँ तक कि उनके स्वयं के मरने के बाद उनका दाह संस्कार भी पैसे के अभाव में ठीक ढंग से नहीं हो सकता। रामसेवक स्वयं अपनी जिन्दगी से बेबस है तो वे समाज को क्या दे सकते हैं। समाज को देने के लिए उनके पास कुछ नहीं है इसलिए समाज उनको क्यों कुछ देगा? लेकिन इसके विपरीत जिन लोगों ने धन कमा लिया है उनकी सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं और धन से धन बढ़ता जा रहा है। जिनके पास धन का अभाव है उनकी जिन्दगी दिन-पर-दिन बद्तर होती जा रही है। आज राम सेवक की जिन्दगी और शीर्ष पर बैठे हुए लोगों की जिन्दगी में करोड़ गुना का अन्तर है। वर्तमान तंत्र धनवानों को छप्पर फाड़ कर दे रहा है। राम सेवक को जीवन के हर कदम पर अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। न्याय कैसे मिले? लोगों को जीवन सम्बन्धी न्याय तभी मिलेगा जब माँ के गर्भ से लेकर मृत्यु पश्चात् दाह संस्कार तक की पूरी जीवन-यात्रा को सुरक्षा प्रदान की जाय। इसके लिए माँ के पेट में जो बच्चा है तथा दाह संस्कार तक निम्न तरह के विभिनन कानून बनाकर अधिकार प्रदान किया जायः- 1. माँ के पेट में बच्चे (भ्रूण) का विकास अधिकार कानून 2. बच्चे को स्वस्थ जीवन पोषण कानून 3. शिक्षा का अधिकार कानून 4. मातृत्व अधिकार कानून 5. पति-पत्नी संरक्षण कानून 6. जीवन निर्वाह एवं सुरक्षा गारन्टी कानून 7. आवास गारन्टी कानून 8. स्वास्थ्य गारन्टी कानून 9. वृद्ध स्वास्थ्य एवं जीवन पोषण कानून 10. नौकरी, रोजगार, खेती संरक्षण कानून 11. न्यूनतम जीवन स्तर एवं सुविधा गारन्टी कानून 12. दाह संस्कार कानून 13. अधिकार संरक्षण कानून 14. शीघ्र विवाद निपटारा कानून इत्यादि। जीवन के हर पहलू को कानूनी संरक्षण प्रदान करना होगा। साथ ही साथ कानून का सही ढंग से क्रियान्वयन व उसका त्वरित लाभ देने के प्रशासनिक व्यवस्था व न्यायतंत्र को चुस्त-दुरूस्त करना पड़ेगा।